क्या इसी लिए देवेंद्र जैन दूसरी बार चुनाव नही जीत पाते हैं

क्या इसी लिए देवेंद्र जैन दूसरी बार चुनाव नही जीत पाते हैं

भूपेंद्र शर्मा की विशेष रिपोर्ट
आम तौर पर देखा जाता है कि चुनाव के दौरान जनता के बीच जाने पर नेता जो मन में आता है वादा करके चले आते हैं। चाहे वह काम उनके मन का भी न हो। इसलिए अक्सर चुनावी वादे कभी पूरे नही होते हैं। कुछ एक नेता ही ऐसे होते हैं जो चुनाव प्रचार के दौरान जनता से किए अपने वादे पूरे करने के लिए पांच साल तक हर संभव प्रयास करते हैं। मगर अधिकांश ऐसे ही होते हैं जो सर्फ वोट लेने के लिए वादे करते हैं। आज इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन की जो एक बार जिस जगह से चुनाव जीतते हैं फिर दोबारा जनता उन्हें साफ तौर पर नकार देती है। क्यूंकि इनके कार्य करने की शैली ही इनके नुकसान का कारण बनती है। देवेंद्र जैन पूर्व में 1992 में शिवपुरी से विधायक बने। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान कार्यकर्ताओं और अपने क्षेत्र की जनता से दूरी बना ली। सिर्फ अपने और अपने परिवार के काम को प्राथमिकता देते हैं। उसके बाद माहौल खराब हो जाता है। विधानसभा का टिकिट नही मिला तो शिवपुरी नगर पालिका का चुनाव लड़ बैठे लेकिन विधायक रहते जिस जनता से दूरी बनाई थी उसी जनता ने इनसे ऐसी दूरी बनाई की पूरे प्रदेश में सबसे बुरी हार हुई थी और निर्दलीय जग्गू दादा ने इन्हे हरा दिया था। फिर 2008 में सामान्य हुई कोलारस सीट पर पहुंचे और वहां की जनता ने इन्हे हाथो हाथ लिया और जिता दिया। लेकिन इनका वही पुराना जनता से दूरी बनाना और उनके काम न करने का रवैया जारी रहा जीतकर अपने कामों में व्यस्त हो गए। फिर उसके बाद कोलारस से 2013 आम चुनाव में जनता ने इनसे दूरी बना ली और 25 हजार के बड़े अंतर से चुनाव हारे। यही नहीं 2018 में कोलारस में हुए उपचुनाव में जनता और कार्यकर्ताओं के मना करने के बाबजूद भी टिकिट फिर इनको ही दे दिया। परिणाम स्वरूप पूरी भाजपा सरकार के एड़ी चोटी का दम लगाने के बाद भी देवेंद्र जैन को वोट देने के लिए जनता तैयार नहीं हुई। और एक बड़ी हार मिली। इस बार शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद आलाकमान ने टिकिट देवेंद्र को दिया और वे नए नए वादे करके भाजपा लहर में चुनाव जीत गए। इस बार तो उन्होंने स्टांप पर भी लिखकर दिया था। की वे पूरी निष्ठा के साथ जनसेवा करेंगे। मगर शहर की जनता पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रही है। नगर पालिका में रोज उपद्रव हो रहे हैं। पार्षद हंगामा कर रहे हैं। लेकिन विधायक पूरे परिदृश्य से गायब हैं। शिवपुरी में हर साल बरसात के मौसम में नालों की साफ सफाई न होने से बाड़ में लोगों को का करोड़ो का नुकसान होता है। जो इस बार भी होगा। मगर कोई भी जनप्रतिनिधि इस विषय पर बोलने को तैयार नहीं है। पूरा शहर स्मैक के नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है। कांग्रेस तो पहले ही घर से निकलना बंद कर चुकी है। अब ऐसे सत्ताधारी दल के नेता और विधायक भी शहर की अवाम के दुख में शामिल होने से कतराते फिर रहे हैं। शहर की गौशाला में गायों की दुर्दांत तरीके से हुई मौतों पर भी कोई नगर पालिका प्रशासन से प्रश्न पूछने तक तैयार नहीं है। माननीय विधायक जी
हां कभी कभार भूमि पूजन और शिलान्यास में उनकी उपस्थिति अवश्य दिख जाती है। वहीं दूसरी तरफ इनके कार्यकाल के शुरू होते ही जो खनन माफिया शहर से बाहर उत्खनन करते थे अब वे बीच शहर से अवैध तरीके से लाल मुरम खोद रहे हैं।
कुल मिलाकर इन्ही कारणों से देवेंद्र जैन कभी भी लगातार चुनाव नही जीत पाते हैं और इस बार तो अभी से लोगो में इनके प्रति नाराजगी दिखाई देने लगी है

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