जमीन खरीद में हुई ठगी के मामले में भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पैनलिस्ट धैर्यवर्धन ने पुलिस अधीक्षक को आधा दर्जन लोगों की संदिग्ध भूमिका की समुचित जांच कराने हेतु आवेदन दिया

जमीन खरीद में हुई ठगी के मामले में भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पैनलिस्ट धैर्यवर्धन ने पुलिस अधीक्षक को आधा दर्जन लोगों की संदिग्ध भूमिका की समुचित जांच कराने हेतु आवेदन दिया

शिवपुरी…… पिछले दिनों पुरानी ग्वालियर बायपास रोड पर सर्वे नंबर 169/3 एवं 170 में पोहरी चौराहा एवम होटल पीएस के मध्य की जमीन पर प्लॉट खरीदी में भाजपा नेता धैर्यवर्धन के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया था जिसमें जमीन के क्रेता धैर्यवर्धन ने राजस्व विभाग सहित लगभग आधा दर्शन लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं । एसपी को की गई शिकायत में उन्होंने कहा कि उनके साथ तो ठगी हुई है मामला प्रकाशित हो जाने के बाद पता लगा है कि इसी सर्वे नंबर की जमीन पर लगभग आधा दर्जन लोगों से और ठगी की गई है जिनके सबूत भी भाजपा नेता धैर्यवर्धन ने साझा किए हैं । लिखित शिकायत में भूमि के खरीददार धैर्यवर्धन से भूमि विक्रेता नरेंद्र कुशवाह उसके ममेरे भाई बाबूलाल कुशवाह ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस चारसौबीसी को अंजाम दिया हैं। चोरी और सीना जोरी का इससे बड़ा उदाहरण ओर क्या होगा कि जिसको धोखधड़ी करके ठग लिया उसी व्यक्ति के खिलाफ उल्टा आवेदन भी दे दिया ताकि दबाव में आकर जमीन का खरीददार पुलिस में रिपोर्ट न कर सके ।
धैर्यवर्धन की रजिस्ट्री दिनांक 29 जनवरी 2024 से पहिले जमीन विक्रेता नरेंद्र कुशवाह के साथ अजय शर्मा और मोनिश कोड़े के साथ हुए अनुबंध भी गहन जांच के दायरे में आने चाहिए जिसमे जितेंद्र करारे, हैदर खान, सौरभ मंडेलिया एवम इदरीस खान बतौर गवाह हैं उनसे पूछताछ करने पर आधार कार्ड की संभावित हेराफेरी में गैंग की संलिप्तता भी सबके सामने आ जाएगी । 2005 से स्वयं को भूमिस्वामी बता रहे नरेंद्र जैन और बाबूलाल कुशवाह ने सब कुछ जानते हुए भी 8 से 9 साल तक चुप्पी क्यों साधे रखी ! उन्होंने कहा कि ठगी का मास्टरमाइंड कौन है तथा गैंग में कौन कौन शामिल हैं। शहर के कुछ ठग मिलकर इन सर्वे नंबर के विभिन्न हिस्सेदार भू स्वामियों से मिलकर कई लोगों से अनुबंध करके मेरी रजिस्ट्री से पूर्व कई लोगों को लगातार चूना लगा रहे हैं । इस भूमि की रजिस्ट्री मुझसे कराने एवम क्रेता से मिलकर मोटी ठगी करने की पटकथा किसने लिखी पुलिस की पूछताछ में सब स्पष्ट हो जाएगा ।
भाजपा नेता धैर्यवर्धन ने बताया कि उन्होंने आम रास्ता नहीं खरीदा है बल्कि 25 फुट का आम रास्ता छोड़कर समीप की भूमि में रजिस्ट्री कराई है । भूमि के विक्रेता नरेंद्र कुशवाह ने जमीन बेचने के पहिले उसका स्वयं का आधार कार्ड, पेन कार्ड, बैंक पास बुक एवम उसके स्वामित्व की जमीन के खसरा, खतौनी, भू अधिकार पुस्तिका आदि दिखाई थी । चूंकि नरेंद्र कुशवाह बाबूलाल कुशवाह का रिश्तेदार है और उसकी पहिचान का कन्फर्मेशन श्रीराम कॉलोनी निवासी कल्लाराम कुशवाह एवम धर्मेंद्र कुशवाह ग्राम सालौरा थाना सिरसौद वर्तमान में शिवपुरी निवासी से किया था । रजिस्ट्री विभाग द्वारा राजस्व विभाग से रिकॉर्ड परीक्षण करने के पश्चात ही उस भूमि की मेरे नाम रजिस्ट्री की गई । क्रेता नरेंद्र कुशवाह को मैने चेक से नौ लाख का भुगतान किया था तथा शासन को लगभग सात लाख रुपए के स्टांप लगाकर बड़ा राजस्व भुगतान प्रदान किया है ।
मेरे द्वारा क्रय की गई भूमि का तहसीलदार द्वारा नामांतरण निरस्त किया है क्योंकि नरेंद्र जैन ने एसडीएम के यहां आवेदन दिया है कि वे 2005 में यह भूमि मोहन पुत्र खूबीलाल कुशवाह से खरीद चुके हैं । 2015 के पश्चात राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में इस जमीन पर नरेंद्र जैन के बजाय नरेंद्र कुशवाह का नाम लिख गया है । लगभग 8 साल पहिले राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारी एवम कर्मचारियों ने रिश्वतखोरी करके जानबूझकर रिकॉर्ड में परिवर्तन किया जिससे मुझे यह अपरिमित क्षति हुई है । उस समय के तहसीलदार, इस हल्के के आर आई , पटवारी ही पुलिस पूछताछ में बताएंगे कि यह हेराफेरी किसके कहने पर की गई ? धैर्यवर्धन ने राजस्व अधिकारियों से भी अपील की है कि वे तत्कालीन लोगो की संलिप्तता की भी निष्पक्ष जांच में सहयोग करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके । क्या इसके पीछे पूर्व विक्रीत भूमि को पुनः बेचने एवम विक्रय उपरांत लगने वाले टैक्स को बचाने की मंशा तो नही थी । शहर के कोलोनाईजर नरेंद्र जैन ने इस सर्वे नंबर के आस पास छावनी क्षेत्र में कुल कितनी जमीन खरीदी एवम कुल कितना रकवा इन्होंने प्लॉट्स के रूप में बेचा है ? नरेंद्र जैन की जमीनों में रास्ते के लिए कौन सी भूमि छोड़ी गई है तथा राजस्व विभाग के रिकॉर्ड एवम नक्शा में रास्ता क्यों नहीं दर्शाया गया है ?
अखबार एवम पोर्टल्स पर खबर चलने के बाद मुझे पता चला कि बाबूलाल कुशवाह के रिश्तेदार नरेंद्र कुशवाह ने मुझे रजिस्ट्री कराने से पहिले शिवपुरी निवासी रिटायर्ड पेंशनर गोपाल सक्सेना एवम ग्राम रायचंदखेड़ी के किसान अतर सिंह रावत से भी इसी जमीन का विक्रय अनुबंध कर ठगी को अंजाम दिया है । इस ठगी में नरेंद्र कुशवाह के साथ और कौन कौन शामिल था यह ठगी का शिकार हुए लोग ही विस्तार से बता सकेंगे । नरेंद्र कुशवाह की भूमि के गोपाल सक्सेना के साथ हुए सौदे के गवाह भूपेंद्र गुप्ता जो कि शहर के संभ्रांत नागरिक एवम प्राइवेट शिक्षक हैं उन्होने भी कलेक्टर को शिकायत करके बाबूलाल कुशवाह, नरेंद्र कुशवाह एवम राजेश मित्तल द्वारा गोपाल सक्सेना के साथ हुई ठगी को उजागर किया है जिसे शिवपुरी कलेक्टर ने गंभीर शिकायत लेख करते हुए एसडीओ राजस्व एवम तहसीलदार को जांच हेतु निर्देशित किया था । भूमि विक्रेता नरेंद्र कुशवाह के ममेरे भाई बाबूलाल कुशवाह ने इसी सर्वे नंबर की जमीन की एक अन्य हिस्सेदार भू स्वामिनी गीता जो कि बाबूलाल कुशवाह की सगी बहिन है के साथ मिलकर कई अन्य लोगो को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचाई है ।
बाबूलाल कुशवाह अपनी बहिन गीता के हिस्से को और स्वयं के हिस्से को भी जहां तहां बेचने के लिए घूमता है । बाबूलाल की बहिन गीता कुशवाह ने दो तीन साल पहिले अपने हिस्से की जमीन बेचने का प्रथम अनुबंध सतीश भार्गव के साथ एक हजार रुपए के स्टांप पर नोटरी वकील के माध्यम से की और उसी जमीन का रजिस्टर्ड अनुबंध कुछ समय बाद कई लाख रुपए लेकर शंकर शर्मा एवम विनोद शिवहरे को करा दिया जिससे नाराज होकर सतीश भार्गव प्रधान जिला न्यायाधीश के यहां अपील क्रमांक 27/2023 ई फाइलिंग नंबर एमसीए/204/2023 दिनांक 20/02/2023 को कोर्ट गए जहां प्रकरण विचारण में है । इस प्रकार दोनो पार्टियों के साथ लाखों की ठगी की गई है । कोर्ट के स्टे ऑर्डर होने से गीता के हिस्से पर दोनो में से किसी के साथ भी रजिस्ट्री नही हो पा रही है क्योंकि मंशा जमीन बेचने से ज्यादा जमीन के कागजात से लिखापढ़ी कराकर ठगी की थी। इस अनुबंध हेतु जब बाबूलाल कुशवाह एवम उसकी बहिन गीता ने खसरा निकलवाया था तब भी उस शामिलात खसरे पर उनके रिश्तेदार नरेंद्र कुशवाह का नाम एवम हिस्सा लिखा आया था पर तब भी इन्होंने अपने रिश्तेदार की कारगुजारी की शिकायत पुलिस या राजस्व विभाग में नही की । शामिलात खसरा है एवम अभी बटवारा नही हुआ है अतः हर बार खसरा , खतौनी पर नरेंद्र कुशवाह नाम लिखा आता हैं। सब कुछ जानते हुए भी नरेंद्र जैन कॉलोनाइजर की रहस्मयमय चुप्पी भी संदेहास्पद है।
मुझे रजिस्ट्री कराने से पहिले नरेंद्र कुशवाह ने मोनिश कोड़े से तीन लाख रुपए लेकर एवम इस अनुबंध के ठीक दस दिनों बाद मोनिश कोड़े के दोस्त नगर पालिका में ठेकेदारी करने वाले अजयकुमार शर्मा से सात लाख रुपए लेकर विक्रय अनुबंध किया है । नगद लेनदेन के ये दोनो अनुबंध मेरी रजिस्ट्री के पहले उसी आधार कार्ड पर हुए हैं जिसके फर्जी होने की शिकायत इन्ही दोनो के पुराने संपर्क वाले बाबूलाल कुशवाह ने की है । दो आधार कार्ड होने की जानकारी सिर्फ इन्ही लोगो को है अतः स्वतः सिद्ध हो रहा है कि आधार कार्ड में बदलाव की योजना एवम प्रकिया इन्ही लोगों ने परस्पर बनाई होगी । अनुबंध में सम्पूर्ण राशि का नकद भुगतान भी संदेहास्पद एवम गैर कानूनी है। इन्ही दोनो अनुबंधकर्ताओं एवम इनके चारों गवाहों से बयान लेने पर ही पता चलेगा कि क्या सिर्फ बाबूलाल कुशवाह और नरेंद्र ही फर्जीवाड़े के जिम्मेदार है या कोई और भी शामिल है । पुलिस विभाग को इनकी कॉल रिकॉर्डिंग का भी परीक्षण करना चाहिए तथा जिस सेंटर पर आधार में परिवर्तन हुआ है वहां के तथा आस पास के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी चेक होने चाहिए ताकि उसमें भी नरेंद्र कुशवाह के साथ शामिल अन्य लोग भी दिखाई देंगे ।
पुलिस अधीक्षक को दिए आवेदन पत्र में भाजपा पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवम वरिष्ठ नेता धैर्यवर्धन ने मांग की है कि उनके साथ हुए कपट एवम धोखाधड़ी के मामले में समय सीमा में उच्च स्तरीय जांच कराकर मुकदमा कायम कर सभी दोषियों को अविलंब गिरफ्तार किया जावे । उन्होंने मांग की है कि शिवपुरी में जमीनों के विक्रय में एवम अवैध कॉलोनाइजिंग के मामलों में फर्जीवाड़े की अनेक शिकायतें अक्सर प्रशासन के समक्ष आती हैं अतः आम जन को धोखाधडी, मानसिक परेशानी एवम गंभीर आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए बीमारी की जड़ तक पहुंचकर इलाज किया जाना चाहिए ।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

शिवपुरी से चुनाव कौन जीतेगा?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें