दिग्विजय सिंह ने फिर सिंधिया की अंग्रेजों से दोस्ती का राग अलापा मोदी पर हमला बोलते हुए बोले मोदी जी में अगर हिम्मत है तो बैलेट पेपर से चुनाव करा कर देख ले

दिग्विजय सिंह ने फिर सिंधिया की अंग्रेजों से दोस्ती का राग अलापा
मोदी पर हमला बोलते हुए बोले
मोदी जी में अगर हिम्मत है तो बैलेट पेपर से चुनाव करा कर देख ले

21February 2024
राहुल गांधी की न्याय यात्रा की तैयारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री एवम कांग्रेस नेता शिवपुरी आए। जहां उन्होंने कांग्रेस नेताओं को संबोधित किया । और पी एम मोदी को टारगेट करते हुए कहा की अगर मोदी जी में हिम्मत है तो बैलेट पेपर से चुनाव करा कर दिखाए। हम भी देख लेंगे कितनी सीट आती है ।
सिंधिया पर साधा निशाना
शिवपुरी में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई के वक्त अगर सिंधिया राजवंश अंग्रेजों की वजाय यदि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का साथ देते तो अंग्रेज 1857 में ही देश से बाहर हो गए होते । उन्होंने कहा कि अंग्रेज समझ चुके थे कि भारत में उन्हें फूट डालो शासन करो की नीति अपनानी होगी । तभी उन्होंने हिंदू मुस्लिम कार्ड खेला ।इसके बाद उन्होंने मुस्लिमों के लिए मुस्लिम लीग और जमाते इस्लामिक संगठन बनवाया। और हिंदुओं के लिए RSS और हिंदू महासभा को बनवाया। इन चारों संगठन ने आजादी की लड़ाई का साथ न देते हुए ब्रिटिश हुक्मतों का साथ दिया और यही इन संगठनों का इतिहास है ।
प्रेस वार्ता के दौरान जब उनसे पूछा गया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कितनी सीट आएंगी? तो उन्होंने जवाब में कहा कि अगर मोदी जी में हिम्मत है तो बैलेट पेपर से चुनाव करा के देख ले उन्हें पता चल जायेगा कि उनकी कितनी सीट आती है मैं उन्हें चुनौती देता हूं’ वहीं कमलनाथ के मुद्दे पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

राम मंदिर पर बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा की जब 500 साल बाद रामलला को ला सकते है तो देश के करोड़ों रुपए लूटकर भागे नीरव मोदी और विजय माल्या को क्यों नहीं ला सकते । रामलला मंदिर की लड़ाई पर दिग्विजय सिंह बोले बीजेपी ने राममंदिर की लड़ाई नहीं लडी है । यह लड़ाई 1850 से निर्मोही अखाड़े ने लडी थी। 1925 में आरएसएस बनी,1950 में जनसंघ बना,1965 में विष हिंदू परिषद बना, 1980 में बीजेपी बनी तब तो ये राममंदिर मुद्दा था ही नहीं ।राममंदिर मुद्दा 1984 में बना जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 2 सदस्य रह गए थे।तब से लेकर अब तक हिंदू मुस्लिम को लड़ाया जा रहा है । इनका उद्देश्य बाबरी मस्जिद को गिराना था न कि मंदिर बनाना।

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