रामजी की माया है रामजी की काया है राम की कृपा से कहीं धूप कहीं छाया है-अशोक मोहिते

रामजी की माया है रामजी की काया है
राम की कृपा से कहीं धूप कहीं छाया है-अशोक मोहिते

शिवपुरी, अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में प्रभू श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में निराश्रितों के आश्रम “”अपना घर”” में राष्ट्रीय कवि संगम के संयोजन में सनातनी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहर के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ वरिष्ठ गीतकार डॉ0 ऐच0 पी0 जैन ने की। राष्ट्रीय कवि संगम के ज़िलाध्यक्ष सुकून शिवपुरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर आश्रम के अध्यक्ष रमेश चंद्र अग्रवाल, सचिव राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, संस्थापक गौरव जैन व आश्रम के प्रभूजियों सहित शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हेमलता चौधरी ने किया।कार्यक्रम से पूर्व सभी ने मंदिर में आरती गायन करते हुए प्रभू श्री राम की आराधना की । तत्पश्चात भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।

कवि सम्मेलन में शहर के चुनिंदा कवि शायरों ने प्रभु श्री राम को समर्पित एक से एक बढ़कर कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनके चुनिंदा अंश देखें-

नियंता रामजी के नाम जैसा कुछ खरा है क्या
तुम्हारा दिल बताओ प्यार से पूरा भरा है क्या।
सतीश दीक्षित किंकर वैराड़

पूर्ण हुआ है स्वप्न हमारा बना अलोकिक धाम
सजी अयोध्या नगरी न्यारी आए हैं श्री राम।
उर्वशी गौतम

अब अयोध्या का सजाना हो गया
राम का मंदिर में आना हो गया।
प्रीति राघव से लगी है जो अभी
पुण्य कर्मों का जगाना हो गया।
अंजलि कृष्ण दीवानी

पर नारी, धन हरण ही रावण के काम हैं
जो जानकी पे जान दें वो ही तो राम हैं ।
घनश्याम शर्मा बदरवास

मन में हर्ष अपार, खुशी की स्वर्णिम घड़ी ये आई
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा, प्रस्तुत नम्र बधाई।
अशोक जैन “”ए जी””

अवध में राम आए हैं उन्हीं का नाम गाऊंगी
सदा रहते हैं हृदय में
अवध उर को बनाऊंगी।
हेमलता चौधरी

राम राम रटता रहा मिटा न मन का मैल
राम काज जब से किया हो गया राम से मेल ।
आशीष पटेरिया

तुम ईश्वर हो, जगदीश्वर हो, तुम शंकर हो, नटनागर हो
तुम रोग हरो, सब शोक हरो, डर, त्रास हटें, सब पाप कटें ।
राम पंडित

रामजी की माया है रामजी की काया है
राम की कृपा से कहीं धूप कहीं छाया है।
अशोक मोहिते

तुम्हारे दिल में ज़रा सी भी मुरव्वत होती
न बढ़ती फ़िरकापरस्ती न सियासत होती
वो एक हक़ जो अदालत से मिला है हमको
तुम अपने हाथों से देते तो मुहब्बत होती
सुकून शिवपुरी

राम हैं तो रोशनी है हर तरफ़
राम से ही हर ख़ुशी है हर तरफ़।
राम अपनी साधना के केंद्र हैं
राम से ही ज़िंदगी है हर तरफ़
डॉ0 ऐच0 पी0 जैन
अंत में राष्ट्र गान के पश्चात् सचिव राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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